महाराष्ट्र महायुति सरकार में रविवार को मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की नई कैबिनेट के कई मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई है, इस सरकार में 19 नए चेहरे शामिल किए गए हैं,
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाले कैबिनेट के पहले विस्तार के तहत बीजेपी के 20 विधायकों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलेगा। इसके अलावा एनसीपी कोटे से 10 और शिवसेना के 12 मंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। इस बीच अब डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना में कई नेताओं ने मंत्री पद ना मिलने पर पार्टी की आलोचना की है, इसको लेकर एकनाथ शिंदे खुद अपने नेताओं पर भड़क गए.
तीनों दलों के बीच महत्वपूर्ण विभागों और सत्ता में हिस्सेदारी
महाराष्ट्र में महायुति के वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा, बहस और कई बैठकों के बाद तीनों गठबंधन दलों के बीच महत्वपूर्ण विभागों और सत्ता में हिस्सेदारी की व्यवस्था के बारे में निर्णय लिया गया है। इस से मंत्रिमंडल में नए मंत्रियों को शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है। ज्यादा सीटें जीतने वाली भाजपा के मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान नए चेहरे पेश करने की उम्मीद है। भाजपा से 20 विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावना है, उसके बाद एकनाथ शिंदे की शिवसेना से 12 और अजीत पवार की एनसीपी से 10 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
दागी या विवादित विधायकों को मंत्रिमंडल में ना लेने का फैसला
महाराष्ट्र सरकार और गठबंधन का नेतृत्व कर रही भाजपा इस बात पर अड़ी हुई है कि जितने भी दागी या विवादित विधायक है उनको मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा। और इसलिए भाजपा ने शिवसेना द्वारा विधायक दीपक केसरकर, सावंत, अब्दुल सत्तार और संजय राठौड़ के नाम को मंत्रियों की लिस्ट शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है।
क्या चाहते थे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
मिली जानकारी के मुताबिक एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे, वो सिर्फ पार्टी संगठन पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, लेकिन उन्हें बहुत मुश्किल से उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए राजी कर लिया गया। एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने कई मौकों पर शिंदे को उनके कद के अनुरूप पद दिए जाने की बात उठाते हुए उनके लिए गृह विभाग मांगा, लेकिन उस पर भाजपा सहमत नहीं हुई।